Thursday, December 9, 2010

9 dec 2010 Daily Eveing NewsPaper Truthway

फूड सप्लाई विभाग ने की छापामारी, दर्जन भर सिलेंडर जब्त
समय समय पर होगी छापामारी : चरण सिंह
बठिंडा। गैस की बढ़ती किल्लत एवं बढ़ती शिकायतों से निजात पाने के लिए जिला फूड सप्लाई विभाग ने आज रसोई गैस का अनाधिकृञ्त रूञ्प में इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 12 सिलेंडर बरामद किए। शहर में दिन प्रति दिन बढ़ रही गैस की किल्लत को रोकने के लिए उक्त विभाग की ओर से शहर के अलग अलग क्षेत्रों में रसोई गैस का अवैध रूप से हो रहा इस्तेमाल रोकने के लिए छापामारी की गई। इस अभियान की अगुवाई डीएफएसओ चरण सिंह ने की, जबकि उनके साथ एडीएफएसओ बृज भूषण, सेल्स इंस्पेक्टर सदेश कुमार, अमरजीत सिंह एवं पुलिस कर्मचारी थे। इस छापामारी अभियान के दौरान फूड सप्लाई विभाग की टीम ने रेलवे रोड़, रेलवे स्टेशन के आस पास स्थित ढाबों एवं माल रोड़ पर कुछ स्थानों की तलाशी ली, जहां से विभाग ने 12 रसोई गैस सिलेंडर बरामद किए। इस बाबत जब डीएफएसओ से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि शहर में व्यापारिक स्थलों पर धड़ल्ले से रसोई गैस की यूजेस को रोकने के लिए विभाग की ओर से औचक छापामारी आगे भी निरंतर जारी रखी जाएगी, ताकि रसोई की किल्लत को खत्म किया जा सके। उन्होंने बताया कि रेलवे स्टेशन के समीप स्थित सभी ढाबों पर छापा मारी की गई। इसके अलावा मच्छली मार्किट में स्थित शबीना एवं क्लासिक होटलों में भी रेड की गई, लेकिन वहां पर नियमों के अनुसार कमर्शियल सिलेंडरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। गौरतलब है कि व्यापारिक स्थलों पर रसोई गैस की धड़ल्ले से हो रही यूजेस के कारण गैस की कालाबाजारी को हवा मिलती है एवं गैस की खपत बढ़ने से आम लोगों की मुसीबतें बढ़ जाती हैं। शहर में सडक़ किनारे लगने में ज्यादातर फास्ट फूड की रेहडिय़ों, टी स्टालों पर रसोई गैस का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है, जिसको रोकने के लिए विभाग अभी नाकाम है। एक पौकड़े बनाने वाले ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि अगर वह कमर्शियल गैस सिलेंडरों का इस्तेमाल टी स्टालों व फास्ट फूड वाले करने लग जाए तो रसोई किल्लत की समस्या काफी हद तक ठीक हो सकती है, क्योंकि शहर में हजारों फास्ट फूड रेहडिय़ों एवं टी स्टालों पर धड़ल्ले से रसोई गैस का इस्तेमाल होता है, जिससे रसोई गैस की खपत बढ़ गर्इ है। उन्होंने बताया कि गरीब टीस्टाल एवं फास्टफूड रेहड़ी मालिक उक्त सिलेंडरों का खर्चा उठा नहीं सकते, और वह अपनी रोजी रोटी चालू रखने के लिए रसोई गैस का इस्तेमाल करते हैं, वो भी ब्लैक में लेकर।

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