Friday, January 14, 2011

14 jan 2011 daily evening truthwaytimes

सरूप सिंगला के नेतृत्व में 150 बसें पहुंची मुक्‍तसर
35 बसों को नहीं मिलनी रुकने के लिए भी जगह
शहरी हलका इंचार्ज को मिला युवाओं का पूर्ण समर्थन

बठिंडा। शिरोमणि अकाली दल बादल के शहरी हलका इंचार्ज सरूप चंद सिंगला का जादू शिअद नेताओं व आम जनता के सिर चढ़कर किस तरह बोल रहा है, इसका अंदाजा तो डेढ़ सौ बसों के काफिले से लगाया जा सकता था, जो शिअद बादल की माघी कांफ्रेंस में शिरकत करने के लिए बठिंडा से सरूप सिंगला के नेतृत्व में रवाना हुई। सूत्रों से एकत्र की जानकारी के अनुसार मेले में आयोजित होने वाली शिअद बादल की रैली में शामिल होने के लिए बठिंडा में चहल पहल अल सुबह ही शुरू हो गई। अल सुबह उठते ही शिअद से जुड़े युवाओं ने अपने आस पास के लोगों को रैली के लिए लामबंद करना शुरू कर दिया। स्थानीय बंगी नगर, बलराज नगर, नामदेव मार्ग, प्रजापत कालोनी, संजय नगर, रेलवे कालोनी, बाबा दीप सिंह नगर, प्रताप नगर से भारी तादाद में शिअद कार्यकर्ता व शिअद समर्थक शामिल हुए। मेले आयोजित होने वाली राजनीतिक रैलियों पर मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की रैली भारी पड़ी। बठिंडा से पहली दफा इतनी तादाद में शिअद समर्थक रैली को सफल बनाने के लिए पहुंचे। बठिंडा से करीबन रैली के लिए शिअद बादल की 150 बसें रवाना हुई, लेकिन रैली में कल्पनाशक्‍ित से भी ज्यादा भीड़ होने के कारण बठिंडा की 35 बसों को वहां खड़े रहने के लिए जगह तक नहीं मिली। सूत्रों का कहना है कि मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की रैली में सोच से परे भीड़ देखने को मिली, जो मुख्‍यमंत्री की लोकप्रियता को जगजाहिर कर रही थी। शिअद शहरी हलका इंचार्ज सरूप चंद सिंगला ने माघी रैली को सफल बनाने के लिए बठिंडा शिअद समर्थकों का तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि शिअद बादल की रैली में एकत्र होने वाली भीड़ ने साबित कर दिया कि शिअद भाजपा सरकार सत्‍ता में फिर से आएगी।

सबसे बड़ा झूठा आदमी सुखबीर बादल : मनप्रीत
बठिंडा। पूर्व वित्‍त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने चचेरे भाई उप मुख्‍यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर निशाना साधते हुए कहा कि सुखबीर सिंह बादल झूठ बोलने के अलावा कुछ नहीं कर सकता। वह झूठ बोलकर जनता को गुमराह करता आ रहा है। मनप्रीत सिंह बादल ने शिअद बादल द्वारा बसों की अधिक संख्‍या के दावे को सिरे खारिज करते हुए कहा कि तीन हजार बसें भरकर रैली में लाने के दावे सरासर झूठे हैं, क्‍योंकि इतनी बसें खड़ी करने की जगह श्री मुक्तसर साहिब में नहीं है। मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि आने वाले चुनावों में यह बात साबित हो जाएगी कि पंजाब की जनता दिल से कितनी शिअद बादल से जुड़ी हुई है। नई पार्टी बनाने के सवाल पर विराम लगाते हुए अपने संबोधन में मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि 14 नवम्‍बर 2011 को अगली रणनीति की घोषणा कर दी जाएगी।

शिअद पर बरसे कैञ्प्टन अमरेंद्र सिंह
बठिंडा। मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि लोगों को शिअद बादल की असलियत पता चल चुका है और ऐसे में शिअद बादल की ओर से दोहराव की बात एक भद्दे मजाक से ज्यादा और कुञ्छ नहीं लग रही। रैली के दौरान कांग्रेसी नेताओं व समर्थकों के सैलाब की ओर इशारा करते हुए कैञ्प्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेसी समर्थकों की भीड़ से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस हद तक लोग शिअद भाजपा से कुञ्शासन से तंग आ चुके हैं। उन्होंने अधिकारियों की धक्केशाही पर गहन नोटिस लेते हुए कहा कि अधिकारी कानूनी दायरे में रहकर ही अपना कार्यों को अंजाम दे, न कि किसी राजसी पार्टी की कठपुतली बने। 

नवजात बच्चियों को किया सम्‍मानित
बठिंडा। सुरक्षा हैल्पर व बठिडा व बठिंडा विकास मंच ने लोहड़ी के दिन नवजन्मी बच्चियों को आज तोहफे देकर सम्‍मानित किया। सुरक्षा हैल्पर के चेयरमैन शाम शर्मा , बठिंडा विकास मंच के राकेश नरूञ्ला, महिला रोग विशेषज्ञ डाक्‍टर धीरा गुप्ता, डा. मोनिका, डा किटी व अन्य स्टाफ उपस्थित था। शाम शर्मा ने कहाकि उनका नवजात बच्चियों को सम्‍मानित करने का मुख्‍य उद्देश्य भ्रूण हत्या को रोकना है। वह बेटे-बेटी में कोई फर्क नहीं समझते। अगर लड़कियां ही नहीं होगी तो वंश कैसे चलेंगे। अकेले बेटे से वंश नहीं चलता। आज जिस प्रकार हमारे समाज में लड़कियों की कमी आ गई है उससे अपराध को बढावा मिलेगा। राकेश नरूला ने कहाकि हमें दहेज जैसे अभिशाप से भी छुटकारा पाना होगा तभी भ्रूण हत्या रूकेगी। लड़कियों को पढा़-लिखाकर शिक्षित करना होगा।

मकर संक्रांति पर कहीं चाय तो कहीं हल्वा, कहीं ब्रैड तो कहीं छोले-पूरी के लगे लंगर,
गुरूद्वारा हाजीरतन में उमड़ी श्रद्धालुयों की भीड़

बठिंडा। मकर संक्रांति पर आज यहां गुरूद्वारा हाजी रतन में श्रद्धालुयों की भारी भीड़ रही। हजारों की संख्‍या में श्रद्धालु बठिंडा के अतिरिक्त आस-पास के गांवों से आये हुये थे। इनमें बड़ी संख्‍या में महिलायें व बच्चे भी शामिल हुये। ढाडी जत्थों ने गुरूओं की वाणी व गाथायें सुनाकर संगतों को निहाल किया। गुरूद्वारा साहिब में गुरू का अतुट लंगर लगाया गया वहीं जलेबियों का लंगर भी लगाया गया। हजारों श्रद्धालुयों ने गुरूद्वारा साहिब के पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई। मकर संक्रांति पर शहर में जगह-जगह लंगर लगाये गये। रामबाग रोड पर अनाज मंडी के पास वहां के दुकानदारों ने मिलजुल कर छोले-पूरी का लंगर लगाया। लोक निर्माण विभाग कार्यालय सिविल लाइन बठिंडा में भी कर्मचारियों ने छोले-पूरी का लगंर लगाया। आज गांवों से शहर में बड़ी संख्‍या में लोग आये हुये थे। सिरकी बाजार में हल्वे का, अमरीक सिंह रोड पर चाय का, हाजी रतन के पास अनाज मंडी में छोले-पूरी का , मैट्रो कार्नर के पास गर्म ब्रैड का लंगर लगाया गया। असके अतिरिक्त साहिबजादा अजीत सिंह नगर में पप्पू आटा चक्की के पास, सिविल लाइन जी टी रोड पर ओ बी सी क्षेत्रीय कार्यालय के पास लंगर लगाये गये। इनमें कहीं ब्रैड-चाय व कहीं हल्वे का तो कहां पूरी-छोले तो कहीं चाय का लंगर लगाया गया। हजारों लोगों ने इस लंगर का आनंद उठाया। साहिबजादा अजीत सिंह नगर में राधा कृष्‍ण, सुखदेव बांसल, दीपक बर्तन भंडार, पप्पू, बंटी, अजय, शैली, बल्लू, नरिन्द्र जोशी ने सेवा निभाई। कार्यकारी अभियंता निर्माण संगठन कार्यालय रेलवे के कर्मचारियों ने भी चाय-हल्वे का लंगर लगाया। इसमें रविन्द्र प्रसाद , पवन कुमार, रोशन लाल, गुलशन शर्मा, हरीश चन्द्र, राम लाल गर्ग, सुभाष चन्द्र , किशन लाल, ललिता देवी, सुमन, रवि प्रकाश, दया राम, संजीव कुमार ने सहयोग दिया।

झुलसी महिला की मौत
बठिंडा। गत 6 जनवरी को स्थानीय चंदसर बस्ती रोड पर स्टोव की आग से झुलसी महिला गीता की आज सुबह सिविल अस्पताल बठिंडा में मौत हो गई। 31 वर्षीय गीता को उस समय आग ने अपनी चपेट में ले लिया था जब वह रात को स्टोव पर चाय बना रही थी। उसकी आग बुझाते उसका पति सुरेश कुमार पुत्र प्रेम कुमार भी झुलस गया था। जांच अधिकारी थानेदार जसवंत राय से प्राप्त जानकारी अनुसार गीता रानी ने अपने बयान में कहा था कि  वह मध्य रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे स्टोव पर चाय बनाते समय अचानक उसकी साड़ी का पल्लू स्टोव की आग की चपेट में आ गया व उसके कपड़ों ने तेजी से आग पकड़ ली। सहारा जनसेवा के सदस्यों ने दोनों झुलसे सदस्यों को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया था। पुलिस ने धारा 174 के तहत कारवाई कर शव का पोस्ट मार्टम करवा वारिसों को सौंप दिया।

संक्रांति है संस्कार-क्रांति
उत्सव और त्योहार किसी भी देश और जाति के रहन-सहन, चरित्र, मूल्य, मान्यता, धर्म, दर्शन आदि का परिचय कराते हैं। कुछ त्योहार परमात्मा से, कुछ धर्मस्थापकों से, कुछ देवी-देवताओं से, कुछ विजय के अवसरों से और कुछ लोगों की मानवीय भावनाओं और कुछ प्रकृति के परोपकारों के प्रति कृतज्ञता भाव से जुड़े होते हैं। इन त्योहारों पर की जाने वाली सब प्रकार की पूजा, ध्यान, अनुष्ठान, पकवान, साज-सज्जा, सज-धज, राग-रंग के पीछे मूल उद्देश्य आत्मा का परमात्मा से मंगल मिलन कराना और आत्मा को ईश्‍वरीय विरासत से भरपूर करना ही होता है। त्योहार न हों तो जन-जीवन सूखा, बासी, रसहीन, सारहीन और उबाऊ हो जाए। लेकिन यह भी एक साथ तथ्य है कि विदेशी आक्रमणों, आपसी फूट, नैतिकता की उत्‍तरोत्‍तर गिरावट और धर्मग्रन्थों में क्षेपक और मिलावट हो जाने के कारण आज त्योहार विशुद्ध भौतिक आधार पर मनाए जाने लगे हैं। इसी कारण से समाज को वो लाभ नहीं दे पाते हैं जो कि ये दे सकते थे। अतः इनके विरुद्ध आध्यात्मिक अर्थ को समझकर उसमें टिकना हमारे लौकिक और पारलौकिक जीवन की उन्नति के लिए अति अनिवार्य, लाभकारी और मंगलकारी है। त्योहारों की कड़ी में, कड़ाके की सर्दी के बीच आता है मकर संक्रांन्ति का त्योहार जिसे सनातन धर्म के लोग बड़े उमंग के साथ मनाते हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में इस त्योहार को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे पंजाब में इसे 'लोहड़ी' कहा जाता है तथा गुजरात में इसे 'उत्‍तरायण' कहा जाता है। यह देसी मास के हिसाब से पौष महीने के अंतिम दिन तथा अंग्रेजी महीने की 12,13,14 जनवरी को आता है। इस समय सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है अर्थात् उत्‍तरायण होता है इसलिए इसे संक्रमण काल भी कहा जाता है। संक्रमण काल अर्थात्‌ एक दशा से दूसरी दशा में जाने का समय। वास्तव में, यह एक दिन मनाया जाने वाला संक्रमण काल उस महान संक्रमण काल की यादगार है जो कलियुग के अंत और सतयुग के आरंभ में घटता है। इस संक्रमण काल (संगमयुग) पर ज्ञान-सूर्य भगवान भी अपनी राशि बदलते हैं। वे परमधाम को छोडक़र साकार वतन में अवतरित होत हैं एक साधारण वृद्ध ब्राह्माण के तन में अर्थात्‌ प्रजापिता ब्रह्मा के तन में और कलियुगी मनुष्यों को पुराने संस्कार छोडक़र नए सतयुगी संस्कार धारण करने की श्रीमत देते हैं। उसी ईश्‍वरीय कर्त्‍ताव्‍य को एक दिवसीय यादगार बनाकर संक्रांति के रूप में याद किया जाता है, मनाया जाता है। संसार में आज तक अनेकों क्रांतियां हुई हैं। कभी सशस्त्र क्रांति, कभी हरित क्रांति, कभी श्‍वेत क्रांति आदि-आदि। हर क्रांति के पीछे उद्देश्य होता है, परिवर्तन। सशस्त्र क्रांति में हथियारों के बल पर परिवर्तन लाने की कोशिश की गई, आंशिक परिवर्तन हुआ, पूर्ण नहीं। हरित क्रांति द्वारा भूमि की हरियाली अर्थात् हरे-भरे खेतों ने मानव जीवन को खुशहाल बनाने की कोशिश की। श्‍वेत क्रांति द्वारा दूध तथा डेयरी उत्पादन ने लोगों को समृद्ध करने की कोशिश की। इन सबसे लाभा हुआ परंतु संपूर्ण लाभ और संपूर्ण परिवर्तन को आज भी मानव तरस रहा है। वह बाट जोह रहा है ऐसी क्रांत‍ि की जिसके द्वारा आमूल-चूल परिवर्तन हो जाए। कोई भी त्योहार परम्‍परागत नहीं है। भगवान कहते हैं सृष्टि के आदि काल अर्थात्‌ सतयुग तथा त्रेतायुग में दैवी मानव आज की तरह त्योहार नहीं मनाता था। वहां के देवी देवताओं के संस्कारों में, स्वभाव में हंसी, खुशी प्यार सम्‍मान, राग रंग इस प्रकार से रमे हुए थे कि वे 24 घंटे स्वाभाविक उमंग उल्लास और आनंद में रहते थे। ऐसा स्वभाव अथवा संस्कार उन्हें एक महान क्रञंति अर्थात्‌ संस्कार क्रञंति के फलस्वरूप मिला था। यह क्रांति आदि युग अर्थात् सतयुग से पहले के युग, संगमयुग में परमपिता परमात्मा शिव की अध्यक्षता में हुई थी। इस संस्कार क्रांति के फलस्वरूप, 100 फीसदी पवित्रता, दिव्यता, हर्षितमुखता, संतुष्टता, नम्रता, सत्यता के संस्कारों से विभूषित देवी देवताओं की हम आज भी मंदिरों में पूजा करते हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। इस क्रञंति के बाद सृष्टि पर 2500 वर्षों तक कोई क्रांत‍ि नहीं हुई। लेकिन 2500 वर्षों के बाद दैवी सृष्टि का परिवर्तन, मानवीय सृष्टि के रूप में हो गया। मानव स्वाभाव पर शनैः शनैः काम क्रोध की धूल जमने लगी।  उसे उतारने के लिए समय समय पर त्योहार व उत्सव आयोजित किए जाने लगे। संक्रांति‍ का त्योहार भी संगमयुग पर हुई उस महान क्रांति की यादगार में मनाया जाता है, लेकिन यादगार मनाने मात्र से मानव काम क्रोध के जमावड़ों की हटा न सका। हर वर्ष यह त्योहार मनाए जाने पर भी मानव हृदय की कल्मश में कोई कभी नहीं आई। इसीलिए कहा गया, दर्द बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की। क्‍योंकि आज यह त्योहार विशुद्ध भौतिक रूप धारण कर गया है और इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठानों के आध्यात्मिक अर्थ को भुला दिया गया है। इससें संबंधित हर क्रिया कलाप, आडम्‍बरों से, बाह्यमुखता से और सथूलता से भर गए हैं। इस दिन संसकार परिवर्तन, संस्कार परिशोधन, संस्कार दिव्यीकरण जैसा न तो कोई कार्यक्रम होता है, न लोगां को जागृति दी जाती है और न हीं संस्कारों की महानता की तरफ किसी को आकर्षित किया जाता है। अब परमात्मा पिता पुनः अवतरित होकर, कल्प पूर्व के ईश्‍वरीय कर्त्‍तव्यों की यादगार के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार के विभिन्न क्रिया कलापों का आध्यात्मिक अर्थ समझा रहे हैं।

स्नान : इस दिन लोग ब्रह्मामुहूर्त में उठकर अपने घर में स्नान करते हैं। कई लोग तीर्थों पर जाकर भी डुबकी लगाते हैं। यह जल स्नान वास्तव में ज्ञान स्नान की यादगार है। संक्रमण काल में ज्ञान सागर भगवान के दिए ज्ञान से अलसुबह ही स्वयं को भरपूर करने वाली आत्मा पुण्य की भागी अर्थात्‌ सतयुगी सृष्टि में उच्च पद की अधिकारी बनती है।

तिल खाना : इस दिन तिल भी खाते हैं और खिलाते भी हैं। तिल का दान भी करते हैं। जब किसी बहुत छोटी चीज के बारे में बताना हो तो उसकी तुलना तिल से करते हैं। सुक्ष्म चीज को स्पष्ट करने के लिए उसे तिल समान कहा जाता है। आत्मा भी अति सूक्ष्म है अतः तिल समान कही जाती है और उसका आकार भी बिल्कुल गोल न होकर तिल की तरह ओवल अंडकार सा होता है। अतः तिल आत्मा का प्रतीक है और तिल खाना अर्थात्‌ तिल स्वरूप बनना अर्थात्‌ तिल सी सूक्ष्म आत्मा के स्वरूप में टिकना।

पतंग उड़ाना : जब आत्मा हल्की हो जाती है तो पतंग की तरह उडऩे लगती है। पतंग की तुलना आत्मा से की जाती है क्‍योंकि देहभान वाला उड़ नहीं सकता, वह जमीन पर रहता है, पर आत्मा के भान वाला पतंग की तरह, अपनी डोर भगवान को अर्पण कर तीनों लोकों की सैर कर सकता है। अत : आत्म उड़ान का प्रतीक है पतंग उड़ान।

तिल के लड्‌डू : तिल अकेले, खाओ तो थोड़ी कड़वाहट आती है, परंतु मिठास के साथ उन्हें संग्रहित कर लड्‌डू बना दिया जाए तो खाने में स्वादिष्ट लगते हैं। इसी प्रकार अकेली आत्मा, अध्यात्म के मार्ग पर चले तो उसे अकेलापन, भारीपन आता है, परंतु जब आपसी प्यार रूपी मिठास से भरपूर संगठन मिल जाता है तो आगे बढ़ना सरल और सहज जाता है। अतः लड्डू एकता, मिठास तथा संगठन का प्रतीक है। एकता में ही बल है और सफलता है। मधुरता के साथ जब एक दूसरे के संबंध में आते हैं तो हम श्रेष्ठ बन जाते हैं।

तिल का दान : जैसे दीपदान होता है ऐसे ही तिलों का दान भी किया जाता है। दान से भाग्य बनता है, ग्रहण छूटता है, परंतु कई बार मनुष्य को दान देना भारी लगता है। धन का दान बड़ी बात नहीं है, परंतु बुराइयों का दान, काम क्रञेध का दान करना मुश्किल लगता है। इस मुश्किल को आसान करने का तरीका है कि जो भी कमजोरी है, उसे तिल समान समझकर दे दो, बड़ी बात नहीं समझो, छोडऩा पड़ेगा, देना पड़ेगा, ऐसे नहीं समझो, तिल के समान छोटी सी बात ही तो दान में देनी है, ऐसे समझो। खुशी खुशी छोटी सी बात समझकर दे दो। बड़ी बात को छोटा समझकर समाप्त करना ही तिल का दान करना है।

आग जलाना- इस दिन सामूहिक आग जलाई जाती है। इतिहास की दृष्टि से आग का बहुत महव है। प्राचीन काल में माचिस नही होती थी। घरों में आग का प्रयोग करने के पश्चात्‌ इस प्रकार दबा दिया जाता था कि वह जीवित रहे। सर्दियों में तो आग की आवश्यकता अधिक हो जाती थी। इसलिए गांव में संयुक्त रूप से ईधन इकट्ठा कर बड़ी आग जलाई जाती थी। इससे भ्रातृत्व भाव बना रहता था और उसी आग के चारों ओर बैठकर इक्‍ट्ठे खाने से स्नेह, सौहार्द भी निखर उठता था। आध्यात्मिक दृष्टि से आग या अग्रि शब्‍द का महव और भी अधिक है। अग्नि में डलने से कोई भी वस्तु पूरी तरह बदल जाती है। पुराने रूप का अंश भी नहीं बचता। सामूहिक आग वास्तव में सामूहिक योग-ज्वाला का प्रतीक है। जब योगीजन संगठित होकर एक ही संकल्प से ईश्‍वर की स्मृति में टिकते हैं तो उससे जो शक्ति आत्मा को मिलती है उससे पुराने संस्कार दग्ध हो जाते हैं, आत्मा आदि-अनादि रूप को पुनः प्राप्त कर लेती है। अतः अग्रि, परिवर्तन का प्रतीक है। पंजाब में इस त्योहार को 'लोहड़ी' नाम से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक देवी थी जिसका नाम लोहई था। इस देवी ने एक जालिम दैत्य को जलाकर भस्म कर दिया था और लोगों को जलाकर भस्म कर दिया था और लोगों को उस के प्रकोप से बचा लिया था, तभी से लोग इसे 'लोहड़ी' नाम से पुकारते हैं। लोहड़ी शब्‍द का संबंध 'लौ' अर्थात्‌ प्रकाश से अधिक लगता है। ज्ञान प्रकाश फैलने से अज्ञान अंधकार मिट जाता है। कलयुग रूपी रात में ज्ञान की लौ प्रज्वलित कर संसार में फैले अज्ञान अंधकार को समाप्त कर सद्भगुण और ज्ञान के प्रकाश से भरपूर कर देने का प्रतीक है लोहड़ी का त्योहार। आइये, हम सभी इसे खाने, खिलाने भर का त्योहार न मानें बल्कि इसमें समाए आध्यात्मिक रहस्यों को आत्मसात् कर जीवन को महान बनाने का दृढ़ संकल्प लें।

प्रस्तुति :- बीके शिखा
माघी मेले को जाता कैंञ्टर पलटा, दर्जन भर घायल
नौजवान वेलफेयर सोसायटी ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया

बठिंडा। स्थानीय मालोट रोड़ पर मालवे के पवित्र अस्थान श्री मुक्‍तसर साहिब में आयोजित होने वाले माघी के मेले में शिरकत करने जा रहे श्रद्धालुओं से भरे एक कैंटर के पलटने की सूचना मिली है। इस हादसे में घायल दर्जन भर के करीब लोगों को शहर की समाज सेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी के कार्यकर्ताओं द्वारा सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फतेहगढ़ साहिब के रहने वाले 50 के करीब श्रद्धालुओं का जत्था कैंञ्टर पीबी 23 ए 1340 में सवार हो श्री मुक्तसर साहिब माघी के मेले के लिए रवाना हुआ। शाम साढे छः बजे के करीब मलोट रोड़ पर सिवियां गांव टर्न के समीप सडक़ पर पडे़ मिट्टी के ढेर के कारण पलट गया, जिसके कारण केंटर सवार 13 लोग घायल हो गए। हादसे की सूचना मिलने पर तत्काल समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी के सदस्य एम्‍बुलेंसें लेकर मौके पर पहुंचे एवं सभी घायलों को सिविल अस्पताल पहुंचाया। घायलों की पहचान गुरप्रीत सिंह पुत्र सेवा सिंह, सुखबीर सिंह पुत्र गुरजंट सिंह, मनप्रीत सिंह पुत्र भोला सिंह, जगमीत सिंह पुत्र जसवंत सिंह, मलकीत सिंह पुत्र हरमंदिर सिंह, गुलजार सिंह पुत्र रूबी सिंह, अवतार सिंह पुत्र मनसा सिंह, गुरनाम सिंह पुत्र सवर्ण सिंह, आत्मा सिंह पुत्र प्रेम सिंह, अमन सिंह पुत्र कोमल सिंह, रविंद्र सिंह पुत्र मलकीत सिंह, जसप्रीत सिंह पुत्र बालकृष्‍ण तथा चंचल सिंह के तौर पर हुई।

सीवरेज सिस्टम जाम, यातायात प्रभावित लोग परेशान
प्रत्येक घंटे में मांग रहे हैं डिप्टी कमिश्नर जानकारी
डिप्टी कमिश्नर के बाद निगम कमिश्नर ने भी लिया स्थिति का जायजा

बठिंडा। शहर के बीचोबीच से गुजरने वाली मुख्‍य सीवरेज पाइपलाइन के बुधवार रात्रि अचानक ब्‍लॉक हो जाने से शहर की सीवरेज व्यवस्था बुरी तरह फेल हो गई। सीवरेज सिस्टम के फेल हो जाने से शहर के मुख्‍य बाजारों एवं अधिकतर व्यस्त रहने वाले मार्गों पर पानी जमा होने के कारण वहां स्थित दुकानदारों का कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ, लेकिन हैरानी की बात है कि बुधवार रात्रि से बंद सीवरेज पाइपलाइन को दुरुस्त करने के लिए नगर निगम अधिकारियों की ओर से कोई प्रयत्न नहीं किया गया, जिसके कारण स्थिति और भी भनायक रूप धारण कर गई। लोहड़ी व माघी उत्सव मनाने में व्यस्त नगर निगम अधिकारियों के कारण शहर के अधिक व्यस्त रहने वाले मार्ग राहगीरों से वंचित हो गए। स्थानीय रेलवे स्टेशन के समीप स्थित मच्छली मार्किट व माल रोड़ से सटा टैक्‍सी पार्किंग स्थल, मेहना मार्ग, बिरला मिल कालोनी आदि स्थान झील में तबदील हो गया। जहां पानी भर जाने से यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ, वहीं गंदे पानी से उत्पन्न होने वाली बदबूदार हवा ने लोगों को सांस लेने में दिक्कत पैदा कर दी। उधर, सूत्रों का कहना है कि डिप्टी कमिश्नर सी करुणा राजू के हरकत में आने के बाद से नगर निगम कर्मचारी निरंतर सीवरेज सिस्टम को सुचारू ढंग से चलाने के लिए गुरुवार शाम से जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन उक्त कर्मचारी सीवरेज सिस्टम को दुरुस्त करने में खबर लिखे जाने तक सफल नहीं हो पाए। सूत्रों की मानने तो नगर निगम अधिकारियों से ज्यादा इस मामले में डिप्टी कमिश्नर श्री राजू हस्तक्षेप कर रहे हैं और डिप्टी कमिश्नर की पिछले दिनों की कारगुजारी के बाद नगर निगम कर्मचारियों की जान शिकंजे में फंसी हुई है, क्‍योंकि डिप्टी कमिश्नर हर घंटे के बाद मौके की जानकारी ले रहे हैं। इसके अलावा नगर निगम के कमिश्नर रवि भगत ने भी डिप्टी कमिश्नर श्री राजू के बाद स्थानीय फौजी चौंक पर आकर सीवरेज व्यवस्था को ठीक करने में जुटे अधिकारियों से जानकारी एकत्र की। इस बाबत टरूथ वे टीम ने जब घटनास्थल पर पहुंच सीवरेज व्यवस्था को सुधारने में जुटी टीम से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि वह गत रात से इसको सुधारने में लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक इसमें कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि पिछली बार सीवरेज में एक रजाई फंस गई थी, हो सकता है कि इस तरह का कुछ इसमें फंसा हो, जब तक वह नहीं निकलेगा, तब तक सीवरेज सिस्टम के दुरुस्त होने की कोई संभावना नहीं।

चिल्ड्रन होम में हवन यज्ञ 16 जनवरी को

बठिंडा। मकर संक्रञंति माघी के मौके पर सात साला समारोह स्वामी रामदेव जी के आशीर्वाद के चलते योग सेवा की खुशी में कतर सिंह जींदा एडवोकेट की अध्यक्षता में हवन यज्ञ 16 जनवरी को सुबह 10 से 12 बजे तक स्थानीय चिल्ड्रन पार्क सिविल स्टेशन बठिंडा आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में मुख्‍यातिथि के तौर पर हलका इंचार्ज सरूप चंद सिंगला उपस्थित होंगे। वहीं पूर्णाहूति के मौके पर रविंदर नाथ सालवान, हरविंदर सिंह गिल, गुरमेल सिंह, शाम लाल गोयल, अशोक कुमार धुन्नीके, पवन सिंगला, सोम नाथ मेहता, बालकृष्‍ण बांसल, विनोद कुमार गुप्ता, डीके गर्ग, राजेश श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहेंगे। हवन यज्ञ को सफल बनाने के लिए श्रीधर व्यास गायत्री परिवार बठिंडा, राकेश नरूला बठिंडा विकास मंच, पदम कुमार ज्योतिषी आत्म दर्शन एजुकेशन सोसायटी, अशोक कुमार उदासीन र्स्वव्यापक मिशन, रीतू राज बांसल, समाज सेविका नवयुवक चेतना सोसायटी, राज कुमार, एकनूर वेलफेयर सोसायटी, राधे श्याम बांसल योग सेवा समिति बठिंडा, बीडी सिंगला श्री कृष्‍ण कृपा समिति, प्रोफेसर एनके गोसाई, महेंद्र सिंह, गणेश दास शर्मा, रामदास गर्ग, वजिंदर कुमार शर्मा, परमिंदर सिंह, डॉ. वरिंदर बांसल, गौरव गोयल पीपल फॉर एनिमल सोसायटी बठिंडा आदि अपना अहम योगदान दे रहे हैं। 

ट्रक ने मारी टक्कञ्र, कार चालक घायल

बठिंडा। स्थानीय गोनियाना रोड़ स्थित ब्‍लू फॉक्‍स के समीप आज सुबह हुए एक सडक़ हादसे में कार चालक के घायल होने की सूचना मिली है। मिली जानकारी के अनुसार घायल चरणजीत अपनी कार पीबी 03वी 7559 में सवार होकर गोनियाना रोड़ की तरफ से बठिंडा शहर की ओर आ रहा था कि पिछले से आ रहे एक ट्रक ने कार को टक्कञ्र मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। हादसे के तुरंत बाद ट्रक छोडक़र ट्रक चालक भाग निकाला।

गुलाटी इंस्टीट्यूट में छात्रों ने मनाई लोहड़ी

बठिंडा। स्थानीय अजीत रोड़, गली नम्‍बर 11 में स्थित गुलाटी इंस्टीट्यूट में आज सुबह मकर संक्रञंति के शुभ पर लोहड़ी का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इंस्टीट्यूट के डायरेक्‍टर प्रोफेसर जय गुलाटी की अध्यक्षता में इंस्टीट्यूट के छात्रों ने लोहड़ी का त्योहार मनाते हुए गिद्धा भंगड़ा डालकर अपनी खुशी का इजहार किया। इस मौके पर छात्रों ने लोहड़ी संबंधित गीत पेश किए एवं समारोह के दौरान पहुंचे हुए अन्य मेहमानों को मूंगफली एवं रेवड़ी बांटी गई। इस मौके आइना, नैंसी, मानसी, संजना, परविंदरपाल आदि विद्यार्थियों ने स्टेज परफोरमेंस देकर खूब मनोरंजन किया। इस मौके पर शानदार डीजे का बंदोबस्त किया गया, डीजे की धुन पर शायद ही समारोह में कोई ऐसा हो, जिसके पांव न थिरके हों। इस मौके पर छात्र छात्राओं को लोहड़ी की मुबाराक बात देते हुए प्रोफेसर अंजु गुलाटी ने लोहड़ी के त्योहार की महत्‍ता व इतिहास पर प्रकाश डाला एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। संस्थान के डायरेक्‍टर जय गुलाटी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि त्योहार के मौके पर इस तरह के आयोजन करने का मुख्‍य मकसद बच्चों अपनी संस्कृति से अवगत करवाना होता है। अपनी संस्कृति से अवगत होने के अलावा वह रोजमर्रा के तनाव से भी मुक्त होते हैं एवं उनके भीतर भाइचारे की भावना उत्पन्न होती है। ऐसे समारोह का आयोजन छात्रहित में है, क्‍योंकि हर व्यक्ति को किताबी ज्ञान के साथ साथ दुनियावी ज्ञान होना भी जरूरी है। शिक्षा के साथ साथ अन्य कम्‍पीटिशन भी करवाए जाते हैं एवं छात्रों को उत्साहित करने के लिए इनाम भी दिए जाते हैं। लोहड़ी पूजन के बाद सभी ने रिफ्रेशमेंट का आनंद लिया।

रोटरी क्‍लब ने गौशाला में बांटे गर्म कम्‍बल

बठिंडा। रोटरी क्‍लब बठिंडा व समाज सेवी कार्यकर्ताओं ने सिरकी बाजार स्थित गौशाला में पिछले कई सालों से गाय माता की सेवा कार्य में जुटे तीस परिवारों को गर्म कम्‍बल बांटे गए। इस मौके पर राय साहिब वर्मा अध्यक्ष व सचिव अनूप गर्ग द्वारा मकर संक्रांति के पवन अवसर पर वहां मौजूद सभी लोगों को लोहड़ी व मकर संक्रांति की बधाई दी एवं मूंगफली रेवड़ी आदि बांटी। इस मौके पर पीपल फॉर एनिमल के प्रधान गौरव गोयल, विनोद गुप्ता, अरुण गोयल, रीतू राज बांसल, अनिल गर्ग, कृष्ण कुमार, कमल गर्ग, देसराज, विनय गुप्ता, रमेश जिंदल, मोहित गुप्ता, पवन कुञ्मार आदि मौजूद थे।

विकलांग वेलफेयर विंग की मीटिंग संपन्न
बठिंडा। इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन फॉर पुलिस पब्‍ल‍िक प्रेस के विकलांग वेलफेयर विंग की मीटिंग आज स्थानीय कार्यालय में हुई। इस मीटिंग में राज्य सचिव डॉक्‍टर हरजिंदर सिंह विशेष रूप से शामिल हुए। इस मौके पर प्रधान मुकेश कुमार गोयल ने कहा कि भाजपा शिअद सरकार ने पिछले चार सालों में विकलांगों के लिए कुछ भी नहीं किया, जिसके कारण विकलांग खुद को शिअद भाजपा के शासन में असहाय महसूस कर रहे हैं। रिसर्च डिप्लेपमेंट विंग के डायरेक्‍टर लक्‍की जिंदल ने जिले भर के विकलांगों को अपील की कि वह मीटिंगों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें।

मांगों को लेकर तीसरे दिन भी निगम कर्मियों ने की रैली
बठिंडा। पंजाब म्‍यनिसिपल वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर नगर निगम बठिंडा के कर्मचारियों द्वारा आज अपनी मांगों के संबंध में नगर निगम कार्यालय के समक्ष रोष रैली का आयोजन किया गया। रोष रैली में हिस्सा ले रहे कर्मचारियों ने बताया कि निगम कर्मचारी पिछले कुछ दिनों से
काले बिल्ले लगाकर अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। संरक्षक रणजीत सिंह, अध्यक्ष भोला सिंह, महासचिव कैलाश चंदर, व राम चरण को आर्डिनेटर कर्मचारी संघर्ष कमेटी पंजाब ने अपने बयान में कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं लेती, तब तक राज्यस्तरीय नेताओं के आह्वान आते रहेंगे, और रोष प्रदर्शन व हड़तालें इस तरह होती रहेंगी। अपनी मांगों के बारे में बताते हुए यूनियन नेताओं ने कहा कि उनकी मांगों में कर्मचारियों को पक्कञ किया जाना, वेट की राशि दुगुनी की जाना, झाड़ू भो में इजाफा किया जाना आदि मांगें शामिल हैं।

घायलों को अस्पताल पहुंचाया
बठिंडा। पिछले चौबीस घंटों के दौरान सहारा जनसेवा की ओर से अलग अलग हादसों में घायल हुए लोगों को उपचार के लिए स्थानीय सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया। मिली जानकारी के अनुसार संस्था को सूचना मिली कि स्थानीय गोनियाना रोड़ पर किसी अज्ञात तेज रफतार वाहन ने मोटर साइकिल सवार को टक्कर मारकर घायल कर दिया। सूचना मिलने पर संस्था कार्यकर्ता घटनास्थल पर पहुंचे, जिन्होंने घायल कमल सहगल को सिविल अस्पताल पहुंचाया। इसी तरह सहारा जनसेवा को सूचना मिली कि स्थानीय खेता सिंह बस्ती में एक व्यक्ति घायल अवस्था में पड़ा हुआ है। संस्था कार्यकर्ताओं ने घटनास्थल पहुंचकर घायल नरिंदर कुञ्मार को उपचार के लिए सिविल अस्पताल पहुंचाया।

सहारा जनसेवा को दी सहायता राशि
बठिंडा। मानवता की सेवा को समर्पित सहारा जनसेवा को दस हजार रुपए की मदद राशि मिली है। संस्था के प्रवक्तञ ने बताया कि संस्था को मानवता की सेवा के लिए पांच हजार रुपए का गुप्त दान मिला है जबकि पांच हजार रुपए की सहायता राशि गिरीश बांसल की ओर से संस्था को प्रदान की गई। 

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